लेखनी कविता - तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - कैफ़ी आज़मी

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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो / कैफ़ी आज़मी तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो आँखों में नमी हँसी लबों पर क्या हाल ...

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